वॉयस ऑफ ए टू जेड न्यूज :-राजनीतिक विश्लेषक उमर हसन का कहना है कि बीते कुछ समय में बहुजन समाज पार्टी की रणनीति उस तरह प्रभावी नहीं रही है जैसे कि बीते समय में दिखा करती थी। इसका असर यह हुआ कि बसपा के वोट बैंक में भारतीय जनता पार्टी ने जमकर सेंधमारी की...
बसपा की कमजोर रणनीति और मायावती की पार्टी से खिसकते दलित वोट बैंक को समाजवादी पार्टी अब 'खुला मैदान' मान रही है। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने भी मायावती के खिसकते जनाधार को समेटने के लिए दलित राजनीति और इस समुदाय से जुड़े लोगों को अपनी और जोड़ने की जुगत लगानी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश में कांशीराम की प्रतिमा के अनावरण के बाद एक बार फिर से अखिलेश यादव ने दलित दांव चलते हुए बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के गांव का रुख किया है। सियासी जानकारों का मानना है कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने अपने सियासी दांवपेच में इस बार दलितों को सबसे आगे रखकर अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है। उसी क्रम में 14 अप्रैल को अखिलेश यादव भीमराव डॉक्टर आंबेडकर के मध्यप्रदेश स्थित महू गांव पहुंच रहे हैं। दरअसल बसपा की कमजोर रणनीति का फायदा उठाते हुए भाजपा ने मायावती की पार्टी में जमकर सेंधमारी की है।
दलित राजनीति की राह पर चली सपा
जैसे-जैसे लोकसभा के चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, वैसे वैसे सियासी पार्टियां जातिगत समीकरणों के गुणा गणित से सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने का रास्ता अख्तियार कर रहीं हैं। बीते कुछ दिनों में समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से दलित राजनीति की दिशा में अपनी पार्टी को आगे बढ़ाया है, वह उत्तर प्रदेश की सियासत में बहुत कुछ कह रहा है। कांशीराम की प्रतिमा लगाने के बाद अब चर्चा अखिलेश यादव की बाबा साहब भीमराव आंबेडकर के गांव जाने की हो रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि दरअसल अखिलेश यादव अब एमवाई फैक्टर के साथ-साथ दलित फैक्टर को भी अपने संग जोड़कर सियासत की एक नई परिभाषा गढ़ रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक उमर हसन का कहना है कि बीते कुछ समय में बहुजन समाज पार्टी की रणनीति उस तरह प्रभावी नहीं रही है जैसे कि बीते समय में दिखा करती थी। इसका असर यह हुआ कि बसपा के वोट बैंक में भारतीय जनता पार्टी ने जमकर सेंधमारी की। हसन कहते हैं समाजवादी पार्टी के नेताओं को यह लगा कि जब दलित वोट बैंक में भारतीय जनता पार्टी सेंधमारी कर सकती है, तो समाजवादी पार्टी उसमें पीछे क्यों रहे। यही वजह रही कि समाजवादी पार्टी ने अपनी रणनीति में बदलाव करने शुरू कर
दिए।
राजनीतिक जानकार जीडी शुक्ला का कहना है कि किसी भी सियासी दल की कमजोर रणनीति का फायदा दूसरा राजनीतिक दल उठाता है। कांग्रेस की कमजोर नीतियों का फायदा समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उठाया। बहुजन समाज पार्टी की कमजोर नीतियों का फायदा भारतीय जनता पार्टी ने दलित वोट बैंक को अपने पाले में जोड़ने के तौर पर उठाया। मायावती ने भी बहुत हद तक समाजवादी पार्टी के मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी करने की कोशिश की। अब जब बीते कुछ चुनावों के परिणामों के आधार पर आंकलन किया जा रहा है, तो उसमें बसपा के खिसकते हुए वोट बैंक नजर आ रहे हैं। जीडी शुक्ला कहते हैं कि भाजपा ने बिल्कुल ऐसा ही किया है। अब समाजवादी पार्टी ने भी उसी तर्ज पर दलितों को अपने साथ जोड़ने की न सिर्फ तैयारी की है, बल्कि बसपा के वोट बैंक में सेंधमारी करने के लिए बड़ी रणनीति भी अख्तियार कर ली है।
14 अप्रैल को महू जाएंगे अखिलेश
समाजवादी पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि अखिलेश यादव अपने सहयोगी राजनीतिक दलों के साथ 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर मध्यप्रदेश के महू पहुंचेंगे। समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के गांव पहुंचने को लेकर सियासी गलियारों में तमाम कयास लगाए जा रहे हैं। माना यही जा रहा है कि अखिलेश यादव ने अपनी "एमवाई" रणनीति को एक कदम आगे बढ़ाते हुए एमवाई "डी" के आधार पर बढ़ा रहे हैं। समाजवादी पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि उनकी पार्टी तो पहले से ही बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के विचारों को आगे रखकर ही राजनीति करती आई है। पार्टी के एक नेता का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने बाबा साहेब वाहिनी का भी गठन कर उसे प्रमुख फ्रंट भी बनाया है। इसलिए यह कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी मौका देखकर दलितों की ओर बढ़ रही है, पूरी तरह से गलत है।
सियासी विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी ने मुस्लिम और यादवों के गठजोड़ के अलावा बीते कुछ समय में अलग तरह से जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश शुरू कर दी है। मुस्लिम-यादव के साथ-साथ समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में पिछड़ों को भी जोड़ने के लिए एक अभियान चलाया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि हालांकि पिछड़ों को जोड़ने का अभियान जिस तरह चलाया गया, वह न सिर्फ विवादित हुआ बल्कि पार्टी के अंदर ही एक असहज स्थिति पैदा होने लगी। यह पिछड़ों को जोड़ने का अभियान पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करके शुरू किया था। बाद में जब पार्टी के ही नेताओं ने इसका विरोध करना शुरू किया, तो रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले नेता स्वामी प्रसाद मौर्य तो नहीं चुप हुए, लेकिन पार्टी के कुछ अन्य नेताओं की ओर से उठने वाले सुर जरूर ठंडे पड़ गए। हालांकि पार्टी ने उसके बाद से दलितों को अपने पाले में करने के लिए कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण किया और अब समाजवादी पार्टी के मुख्य मध्यप्रदेश के महू जा रहे हैं।